भारतीय ज्योतिष शास्त्र में विष्टि कारण एक महत्वपूर्ण अंग है। विष्टि कारण का अर्थ होता है दो ग्रहों के मिलने या एक साथ होने से आयु की आक्रमण की भूमिका। इसका उपयोग ज्योतिष शास्त्र में जन्मकुंडली बनाने में किया जाता है।
विष्टि कारण दो ग्रहों के मिलने से होता है। इस समय दो ग्रह एक साथ होते हैं और इससे विशेष उष्णता उत्पन्न होती है। इस उष्णता के कारण मनुष्य को विभिन्न तरह की चिंताएं होती हैं जैसे नींद नहीं आना, घबराहट, बेचैनी आदि।
विष्टि कारण का उपयोग जन्मकुंडली में भी किया जाता है। जन्मकुंडली में विष्टि कारण का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसके आधार पर ज्योतिषी जन्मकुंडली में विभिन्न ग्रहों की स्थिति को अधिक स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। इससे वे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जान सकते हैं कि जन्मकुंडली में कौन से ग्रह शुभ हैं और कौन से अशुभ हैं।
विष्टि कारण ज्योतिष शास्त्र में अहम अंग होता है। इसके बिना ज्योतिषी जन्मकुंडली में असंगत फलादेश दे सकते हैं। विष्टि कारण का उपयोग ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न प्रयोगों में किया जाता है जैसे वास्तु शास्त्र, मुहूर्त, उपाय आदि।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में विष्टि कारण का महत्व बहुत अधिक है। इसके बिना ज्योतिषी जन्मकुंडली के फलादेश निर्धारित करने में असमर्थ होते हैं। इसलिए विष्टि कारण का अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए।
इसके अलावा विष्टि कारण का अध्ययन करने से हम समय के अनुसार अपने कामों को कर सकते हैं जैसे कि शुभ मुहूर्त में शादी, उपनयन आदि कार्य करने से उनका सफलता मिलता है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में विष्टि कारण एक महत्वपूर्ण अंग है जो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली बनाने में बहुत उपयोगी होता है। इसके बिना ज्योतिषी जन्मकुंडली में असंगत फलादेश दिए जा सकते हैं। इसलिए विष्टि कारण का अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए।